केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार द्वारा Webex के माध्यम से लेखिका डॉ. निवेदिता बांदिल से मुलाकात कार्यक्रम

लेखक से मुलाकात

केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार द्वारा दिनांक 05-06-2024 को लेखक से मुलाकात कार्यक्रम के तहत एक कार्यक्रम आयोजित की गई l कार्यक्रम की मुख्या वक्ता सुश्री निवेदिता बांदिल जी थी एवं विषय उनके द्वारा रचित काव्य पुस्तक अंतर्द्वंद था।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉक्टर मंगल मूर्ति जी उपस्थित थे। डॉ. मंगल मूर्ति जी स्वर्गीय आदरणीय शिवपूजन सहाय जी के कनिष्ठ पुत्र एवं वर्तमान में शिवपूजनसहाय स्मारक न्यास पटना के संस्थापक व सचिव भी है। डॉ. मंगल मूर्ति एक प्रख्यात लेखक, कवि, स्तंभकार और समालोचक के रूप में प्रतिष्ठित हैं। उन्होंने कई संस्मरण, कविताओं और पुस्तकों का अनुवादकिया है। उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए उन्हें बिहार राष्ट्रभाषा सहित कई अन्य सम्मान प्राप्त हुए हैं।

कार्यक्रम की विश्लेषक के रूप में सुश्री दीपा जी थी। सुश्री दीपा जी दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतर्गत महर्षि अरविन्द महाविद्यालय में हिंदी विषय के सहायक प्राध्यापिका है। कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. अजीत कुमार, निदेशक, केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार थे। यह कार्यक्रम ऑनलाइन माध्यम से आयोजित किया गया था,जिसमें लगभग 120 साहित्य प्रेमी और विद्वानों ने भाग लिया।

कार्यक्रम का शुभारंभ निदेशक डॉ. अजीत कुमार जी के द्वारा स्वागत संबोधन के साथ प्रारंभ हुआ। उन्होंने इस कार्यक्रम के आयोजन का उद्देश्य साझा करते हुए, कवियित्री सुश्री निवेदिता बांदिल जी और उनके साहित्यिक कृतियों का संक्षिप्त परिचय दिया। डॉ. अजीत कुमार जी ने अंतर्द्वंद काव्य पुस्तक से अभिलाषा और मैं बन जाऊं नामक दो कविताओं का पाठन भी किया। इन कविताओं के माध्यम से उन्होंने कवयित्री की रचनात्मक शैली और भावनाओं की गहराई को उजागर किया। पहली कविता जिसका शीर्षक अभिलाषा थी, जिसमें कवयित्री ने प्रकृति और समाज के महत्वपूर्ण सामाजिक हिस्सेदारी को समझाने का प्रयास किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस कविता में कवयित्री ने कैसे अपनी अभिलाषाओं को व्यक्त किया है, जो समाज में एक सक्रिय और संवेदनशील भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करती है।

उनके बाद उन्होंने मैं बन जाऊं नामक दूसरी कविता का भी पाठ किया, जिसमें कवयित्री ने सकारात्मक भावनाओं के माध्यम से मानव मूल्यों के महत्व को उजागर किया है। इस कविता में व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर उन्होंने कैसे समाज के उद्देश्यों और मानवता के मूल मूल्यों को स्थापित किया है एवं इसके महत्वपूर्ण संदेशों पर विचार किया। डॉ. अजीत कुमार जी ने अपने संभाषण में इन दोनों कविताओं के माध्यम से कवयित्री की साहित्यिक उपलब्धियों और विचारधारा को समझाने का प्रयास किया। इस रूप में उनके संभाषण ने कार्यक्रम को एक गहरा साहित्यिक और सामाजिक महत्वपूर्णता प्रदान की।

कार्यक्रम की मुख्य वक्ता सुश्री निवेदिता बांदिल जी ने अंतर्द्वंद काव्य पुस्तक पर विस्तृत चर्चा और विवेचना की। उन्होंने बताया कि यह पुस्तक उनके जीवन के अनुभवों, भावनाओं और विचारों का प्रतिबिंब है। उन्होंने पुस्तक में शामिल विभिन्न कविताओं का वाचन करते हुए, प्रत्येक कविता के पीछे की प्रेरणा और उसमें व्यक्त किए गए संदेशों को समझाया। एक नन्ही सी बिल्ली नामक कविता का पाठन करते हुए उन्होंने सफेद बिल्ली के माध्यम से अपनी कोमल संवेदनाओं और वात्सल्य को व्यक्त किया। साथ ही, उन्होंने समाज में बिल्ली को लेकर फैली शुभ-अशुभ की अवधारणा पर भी प्रकाश डाला। इस कविता में उन्होंने बेजुबान जानवरों के प्रति अपनी भावनाओं और प्यार को अभिव्यक्त करने की अपील की, जो संवेदनाओं को प्रकट करने में साहित्य प्रेमियों को प्रभावित करती है।

डॉ. दीपा जी ने अंतर्द्वंद काव्य पुस्तक में से “मैं तुमसे मिलने आया था  नामक कविता का पठन किया और उस कविता का विश्लेषण करते हुए उन्होंने बताया कि किस प्रकार कवयित्री ने कविता के माध्यम से समय के हर पहलु को उजागर किया है। समय के गुजरने के साथ हमारे मन में जो नई सोच, दृष्टिकोण एवं भावनाओं का संचार होता है उसका हमें किस प्रकार सदुपयोग करना चाहिए। कविता के माध्यम से उन्होंने बताया कि किस प्रकार सही तरीके से समय को नियंत्रित करना चाहिए, जिससे कि हम सफलता की ओर अग्रसर रह सके। उन्होंने न केवल अंतर्द्वंद का विश्लेषण किया अपितु स्वरचित कुछ कविताओं को भी प्रस्तुत किया, जो काफी सराहनीय थी।

डॉक्टर मंगल मूर्ति जी ने अपने उद्बोधन में अंतर्द्वंद काव्य पुस्तक की विवेचना की। उन्होंने साहित्य के महत्व पर विस्तार से चर्चा की और बताया कि साहित्य हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब हम साहित्य को अपने जीवन का हिस्सा बनाते हैं, तो यह हमारी रुचियों को समृद्ध करता है और हमारे विचारों में गहराई लाता है। साहित्य के माध्यम से हम समाज के विभिन्न मुद्दों, इतिहास की गहराइयों और मानवता की समस्याओं को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं। उन्होंने कहा कि साहित्य हमारी सोच को विस्तारित करता है और हमें समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित करता है।

डॉ. मंगल मूर्ति जी ने इस बात पर जोर दिया कि साहित्य हमें न केवल व्यक्तिगत रूप से, बल्कि सामूहिक रूप से भी समृद्ध करता है। यह हमें विभिन्न संस्कृतियों, परंपराओं और जीवन दृष्टिकोणों को समझने काअवसर प्रदान करता है। उन्होंने साहित्य को एक ऐसा माध्यम बताया जो हमें मानवता के मूल्यों को समझनेऔर उन्हें अपने जीवन में लागू करने के लिए प्रेरित करता है। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि साहित्यिक गतिविधियाँ हमारे समाज में नैतिकता और संवेदनशीलता को बढ़ावा देती हैं। कार्यक्रम के अंत में, डॉ. मूर्ति जी ने कवयित्री के उज्जवल भविष्य की कामना की और उनके आगामी साहित्यिक कार्यों के लिए भी शुभकामनाएं दीं।

यह कार्यक्रम अंतर्द्वंद काव्य पुस्तक और साहित्य के प्रति रुचि रखने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम था। इसने साहित्यिक चर्चा और विचार-विमर्श का एक मंच प्रदान किया और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए साहित्य की शक्ति को रेखांकित किया।